नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों में से प्रत्येक स्वरूप का अपना विशेष महत्व होता है, जो हमें जीवन में आवश्यक गुणों और सिद्धांतों को अपनाने की प्रेरणा देते हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है।
माँ चंद्रघंटा शक्ति, शांति और साहस की देवी मानी जाती हैं। उनका यह स्वरूप उनके भव्य और सौम्य दोनों रूपों का प्रतिनिधित्व करता है। वह अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाने और उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाने के लिए पूजी जाती हैं।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत अद्भुत और शक्तिशाली है। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र शोभायमान है, जो उनकी चंद्रघंटा नाम की पहचान है। वह दस भुजाओं वाली हैं, जिनमें से हर हाथ में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं। उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा, धनुष, और कमल जैसे शस्त्र हैं, जो उनकी शक्ति और साहस को दर्शाते हैं। इसके साथ ही उनके पास घंटा भी है, जो युद्ध में उनके शत्रुओं का नाश करने का प्रतीक है।
माँ चंद्रघंटा सिंह पर सवार हैं, जो उनके साहस और निर्भयता का प्रतीक है। उनके इस स्वरूप से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी हमें साहस और धैर्य बनाए रखना चाहिए। माँ का यह रूप शांति, साहस और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है।
पूजा का महत्व
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव आते हैं। उनकी पूजा से भक्तों में न केवल साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिलती है। माँ चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व उन लोगों के लिए होता है जो जीवन में शांति, साहस और धैर्य की तलाश में हैं।
माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से:
- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा: माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्त हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बुरी आत्माओं से सुरक्षित रहते हैं।
- शांति और मानसिक स्थिरता: उनकी पूजा से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
- साहस और आत्मबल: भक्तों में साहस, आत्मविश्वास और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है।
- शत्रुओं पर विजय: जो लोग जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं या शत्रुओं से परेशान हैं, उनके लिए माँ चंद्रघंटा की आराधना अत्यधिक लाभकारी होती है।
- व्यवसाय और करियर में सफलता: माँ चंद्रघंटा की पूजा से व्यवसाय और करियर में सफलता प्राप्त होती है, और जीवन में समृद्धि आती है।
माँ चंद्रघंटा की कथा
माँ चंद्रघंटा का यह रूप माँ पार्वती के विवाह के समय प्रकट हुआ था। जब भगवान शिव उनके साथ विवाह करने के लिए अपने गणों के साथ आए, तो उनका भयानक रूप देखकर माँ पार्वती ने उन्हें शांत और सौम्य रूप में आने के लिए प्रार्थना की। इसके बाद, माँ ने भी चंद्रघंटा का रूप धारण किया, जिसमें उनके मस्तक पर अर्धचंद्र शोभायमान था, और वह युद्ध की मुद्रा में थीं। उन्होंने अपने इस रूप से सभी देवताओं और ऋषियों को आशीर्वाद दिया।
माँ चंद्रघंटा का यह रूप हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी भयानक क्यों न हों, हमें धैर्य, साहस और शांति बनाए रखनी चाहिए। उनके इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन में आ रही चुनौतियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा में विशेष रूप से दूध, दही, और सफेद वस्त्र का प्रयोग किया जाता है। भक्त सफेद फूल और मिठाइयों से माँ की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करके माँ से आशीर्वाद माँगा जाता है कि वह उनके जीवन से नकारात्मक शक्तियों और बुरी आत्माओं का नाश करें और उन्हें शांति और समृद्धि प्रदान करें।
माँ चंद्रघंटा की पूजा करते समय शांत मन से उनका ध्यान लगाना चाहिए और उनसे जीवन में शांति, साहस, और धैर्य की प्रार्थना करनी चाहिए।
शिक्षा
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप हमें जीवन में साहस, धैर्य और शांति बनाए रखने की प्रेरणा देता है। उनकी पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और हम अपने जीवन के हर संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। माँ चंद्रघंटा की कृपा से हम हर प्रकार के भय से मुक्त होकर अपने जीवन में सफलता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
नवरात्रि का यह तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की भक्ति और उनकी असीम शक्ति को समर्पित है। यह दिन हमें सिखाता है कि कैसे हमें अपनी आंतरिक शक्ति का उपयोग करके जीवन की हर चुनौती का सामना करना चाहिए। माँ चंद्रघंटा की कृपा से हमें अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
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