नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, और पाँचवे दिन माँ के स्कंदमाता रूप की आराधना होती है। माँ स्कंदमाता को माँ का सौम्य और मातृस्वरूप माना जाता है। उनका यह रूप माँ के उस रूप का प्रतीक है, जो न केवल अपने बच्चों की रक्षा करती हैं, बल्कि उन्हें ज्ञान, साहस और सुरक्षा प्रदान करती हैं। स्कंद का अर्थ है भगवान कार्तिकेय, जिन्हें देव सेनापति के रूप में जाना जाता है, और माता का अर्थ है उनकी माता यानी देवी दुर्गा।
माँ स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी समस्याओं को दूर कर उनके जीवन में सुख और शांति का आशीर्वाद देती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी मिलता है और जीवन में निरंतर उन्नति होती है।
माँ स्कंदमाता का स्वरूप
माँ स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत शांत और दिव्य है। वह चार भुजाओं वाली हैं। उनके एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) बालरूप में विराजमान होते हैं, जो उनकी गोद में बैठते हैं। अन्य तीन हाथों में वह कमल का फूल धारण करती हैं। माँ स्कंदमाता को कमलासन पर बैठे हुए दिखाया जाता है, इसलिए उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है।
माँ स्कंदमाता का यह रूप हमें मातृत्व, सुरक्षा और करुणा की भावना का संदेश देता है। वह न केवल अपने पुत्र की, बल्कि अपने सभी भक्तों की भी रक्षा करती हैं और उन्हें भय, चिंता, और रोगों से मुक्ति दिलाती हैं।
माँ स्कंदमाता की पूजा का महत्व
माँ स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, और वह सभी प्रकार के दुखों और परेशानियों से मुक्त होता है।
माँ स्कंदमाता की पूजा का महत्व निम्नलिखित है:
- माँ की करुणा: माँ स्कंदमाता का यह रूप करुणा और प्रेम का प्रतीक है। उनकी पूजा से भक्तों में दया, प्रेम और ममता का विकास होता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि: माँ की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। वह रोगों और कष्टों का नाश करती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्राप्त होता है, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शत्रुओं का नाश: माँ स्कंदमाता की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है और भक्तों की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।
पूजा विधि
माँ स्कंदमाता की पूजा करते समय शांत और ध्यानमग्न रहना आवश्यक है। माँ को विशेष रूप से पीले फूल और फल अर्पित किए जाते हैं, क्योंकि यह रंग माँ को अत्यंत प्रिय है। उनके चरणों में दीप जलाकर और मिठाइयों का भोग लगाकर माँ की आराधना की जाती है।
मंत्रों का जाप और ध्यान से माँ स्कंदमाता से जीवन में सुख, शांति और उन्नति का आशीर्वाद माँगना चाहिए। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में सभी दुखों का नाश होता है और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
माँ स्कंदमाता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को देवताओं के सेनापति के रूप में नियुक्त किया गया था, ताकि वह राक्षसों का नाश कर सकें। माँ स्कंदमाता ने उन्हें यह शक्ति और साहस प्रदान किया, जिससे वह राक्षसों से देवताओं की रक्षा कर सके। इसी कारण, माँ स्कंदमाता को माँ का रूप माना जाता है, जो अपने भक्तों को हर प्रकार की कठिनाई और संकट से बचाती हैं।
माँ स्कंदमाता की पूजा के लाभ
- शांति और सुख: माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का आगमन होता है।
- बीमारियों से मुक्ति: माँ की कृपा से सभी प्रकार की बीमारियों और शारीरिक कष्टों का नाश होता है।
- भय और चिंता से मुक्ति: माँ की आराधना से भय, चिंता और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
- सफलता और उन्नति: माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्तों को अपने कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में उन्नति होती है।
शिक्षा
माँ स्कंदमाता का स्वरूप हमें यह सिखाता है कि माँ का प्रेम और करुणा असीमित है। उनकी आराधना से हम जीवन की सभी समस्याओं और कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। नवरात्रि के इस पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा से हमें शांति, समृद्धि, और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।
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