7 अक्टूबर को भारतीय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, जहाँ सेंसेक्स ने 1,088 अंकों की गिरावट के साथ अपने इंट्राडे हाई से नीचे आकर बंद किया। दिन की शुरुआत में बाजार ने मजबूत रुख दिखाया, लेकिन बाद में व्यापक बिकवाली के कारण बाजार पर दबाव आ गया। सेंसेक्स 81,926.99 पर खुला और 450 अंकों की बढ़त लेकर 82,137.77 तक पहुंचा, लेकिन सभी लाभ खोकर अंत में 638 अंकों (0.78%) की गिरावट के साथ 81,050 पर बंद हुआ।
निफ्टी 50 ने भी अस्थिरता का सामना किया। निफ्टी ने 25,084.10 पर ओपनिंग की और इंट्राडे हाई 25,143 और लो 24,694.35 को छुआ। अंत में निफ्टी 219 अंक (0.87%) गिरकर 24,795.75 पर बंद हुआ। इस दौरान इंडिया VIX में 6% से अधिक की उछाल दर्ज की गई, जो बाजार में बढ़ते वोलैटिलिटी को दर्शाता है।
मिडकैप और स्मॉलकैप पर ज्यादा प्रहार
मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में ज्यादा नुकसान दर्ज किया गया। BSE मिडकैप इंडेक्स में 1.85% की गिरावट आई, जबकि BSE स्मॉलकैप इंडेक्स 3.27% की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह बताता है कि छोटे और मंझले शेयरों में बिकवाली का दबाव अधिक था।
₹9 लाख करोड़ का बाजार से सफाया
मार्केट की इस गिरावट के कारण बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में भी भारी गिरावट देखी गई। बीएसई का मार्केट कैप पिछले सत्र के ₹461 लाख करोड़ से घटकर ₹452 लाख करोड़ पर आ गया, जिससे निवेशकों ने केवल एक सत्र में लगभग ₹9 लाख करोड़ खो दिए। पिछले छह सत्रों में यह नुकसान ₹25 लाख करोड़ से अधिक हो चुका है।
FPI की भारी बिकवाली से बाजार में गिरावट
सेंसेक्स और निफ्टी 50 लगातार छह सत्रों से लाल निशान में हैं, जहाँ दोनों इंडेक्स ने 5% से अधिक की गिरावट दर्ज की है। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की आक्रामक बिकवाली है। NSDL के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के पहले तीन दिनों में FPIs ने ₹27,142 करोड़ मूल्य की भारतीय इक्विटीज़ बेच डाली।
FPIs अब अधिकतर कैपिटल को चीन की ओर डायवर्ट कर रहे हैं, जहाँ हाल ही में सरकार ने कई आर्थिक सुधार और प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की है। भारतीय मार्केट की ऊँची वैल्यूएशन की तुलना में चीन के मार्केट में आकर्षक वैल्यूएशन मिलने के कारण यह बदलाव देखा जा रहा है।
चीन के बाजार में शानदार बढ़त
चीनी मार्केट में पिछले कुछ सत्रों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स में पिछले हफ्ते 21% की तेजी आई, जबकि हैंग सेंग इंडेक्स में 15% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। इससे “Sell India, Buy China” की रणनीति बन रही है, जहाँ बड़े पैमाने पर कैपिटल चीन की ओर शिफ्ट हो रहा है।
बाजार पर अतिरिक्त दबाव
FPI की बड़े पैमाने पर बिकवाली के अलावा, मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक तनाव और हरियाणा एवं जम्मू-कश्मीर चुनावों के एग्जिट पोल ने भी बाजार पर अतिरिक्त दबाव बनाया है। चुनाव नतीजों में बीजेपी अपने प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ती दिख रही है, जिसने निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
दीर्घकालिक संभावनाएँ सकारात्मक
हालांकि मौजूदा गिरावट से निवेशक सतर्क हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत वृद्धि और घरेलू निवेशकों के स्थिर निवेश के चलते बाजार की मध्यम और दीर्घकालिक संभावनाएँ सकारात्मक बनी रहेंगी।
मौजूदा गिरावट से रिकवरी की संभावना इस हफ्ते होने वाली RBI की नीति बैठक और आने वाले कॉर्पोरेट परिणामों पर निर्भर करेगी।
तकनीकी दृष्टिकोण
लंबे समय के बाद, घरेलू बाजार 50-दिवसीय SMA (Simple Moving Average) से नीचे फिसल गया है। साथ ही, चार्ट्स पर बेयरिश कैंडल भी बनी है, जो बाजार के नकारात्मक रुख को इंगित कर रही है। इंट्राडे चार्ट्स में भी लोअर टॉप फॉर्मेशन देखा जा रहा है, जो बाजार की कमजोरी का संकेत है।
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